Chandan Plant Company in Patna

कैसे होती है चन्दन की खेती – सम्पूर्ण जानकारी GREEN INDIA BIO TECH से Sandalwood Businesses Farming

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भारत देश मे ये एक तरह का एंटी बायोटिक तत्व है जो की सर दर्द ,घाव भरने ,खुजली दूर करने तनाव दूर करने और दात दर्द में रहत देता है और स्किन संबंधी रोगों में चन्दन एक बहु उपयोगी ओषधि की तरह है चन्दन का उपयोग तेल, धूप, ओषधि, इत्र और सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण, में तो होता ही है इसके अलावा चन्दन बहुत ही पुराने समय से आयुर्वेद के उपचार और ओषधि के रूप में भी लिए किया जाता है।

Sandalwood Farming Cost And Benefits

चंदन को सबसे ज्यादा मुनाफे देने वाला पेड़ माना जाता है. इस पेड़ की खेती से किसान आसानी से लाखों- करोड़ों कमा सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चंदन की अत्यधिक मांग है। हालांकि इस डिमांड को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि चंदन के पेड़ों की लकड़ियों के कीमतों में पिछले कई सालों से भारी वृद्धि देखी गई है।

भारत की तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है. इसके बावजूद खेती-किसानी को मुनाफा ना देने वाला सेक्टर माना जाता है. किसान भी अक्सर शिकायत करते हैं कि कृषि से उन्हें वैसा मुनाफा नहीं हासिल हो रहा है जैसी की उम्मीद थी. कृषि विशेषज्ञ इसके पीछे खेती को लेकर किसानों की पारंपरिक और पुरानी सोच को दोष देते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कई किसान अब भी ऐसे हैं कि वे नए जमाने की फसलों की खेती और तकनीकों अपनाने में संकोच करते हैं।

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चंदन की व्यवसायिक खेती कैसे करें

कई किसान तुरंत मुनाफा हासिल करने की चाह रखते हैं, लेकिन चंदन की खेती के लिए आपको धैर्य रखने की जरूरत है. इसकी खेती के दीर्घकालिक लाभ है. एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का हो जाता है, तो उसका हर्टवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है.जब पेड़ बड़ा हो जाता है तो किसान हर साल 15-20 किलो लकड़ी आसानी से काट सकता है। यह लकड़ी बाजार में करीब 3-7 हजार रुपए प्रति किलो बिकती है. कभी-कभी इसकी कीमतें 10000 रुपए प्रति किलो तक भी पहुंच जाती है।

हालांकि, यहां यह बताने की जरूरत है कि सरकार ने आम लोगों के बीच चंदन की लकड़ी की खरीद-फरोख्त करने पर रोक लगा रखी है। लेकिन कोई भी किसान चंदन की खेती कर सकता है। इसकी खरीद सरकार करती है। चंदन की तस्करी से जुडी फ़िल्म Pushpa Raj अभी हाल ही के रिलीज हुई है। जिसमे चंदन की तस्करी गैर कानूनी तरीके से कैसे की जाती है, दिखाया गया है।

वहीं, चंदन का पेड़ लगाने के लिए आपको उसका पौधा लेना होगा. भारत सरकार मान्यताप्राप्त संस्थान GREEN INDIA BIO TECHPlant Company in Patna, Ranchi, Kanpur – IND एक पौधे की कीमत सिर्फ 400 रुपये से लेकर 600 रुपये के बीच में होती है।

IWST के अनुमान के अनुसार, प्रति हेक्टेयर चंदन की खेती( 15 वर्ष के लिए फसल चक्र के लिए) की लागत लगभग 30 लाख रुपये आती है. लेकिन इस दौरान चंदन के पौधों के पेड़ बनने के बाद किसान आसानी से 1.2 करोड़ रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक मुनाफा कमाया जा सकता है।

चन्दन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

चन्दन की खेती के लिए हमे ऐसी जलवायु का चुनाव करना चाहिये जो की गर्म और शुष्क हो। अगर हम आदर्श तापमान की बात करे तो मध्यम वर्षा वाले और धुप वाले वे क्षेत्र जहा का तापमान 12 °C से 35 °C के बीच का हो । चंदन का पौधा शुष्क जलवायु वाला होता है, इसलिए इसके पौधों को अधिक सर्द जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है | क्योकि सर्दियों में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए उचित नहीं होता है | इसके पौधों को अधिकतम 500 से 625 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है | चंदन के पौधों को अधिक 35 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | इसके पौधे अधिक धूप को आसानी से सहन कर सकते है |

चंदन की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन

चन्दन की खेती के लिए हमे ऐसी उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है जिसमे की जल का भराव आधिक न होता हो चिकनी बुलई मिट्टी जिसका की ph मान 6.5 से 7.5 के मध्य में हो। सफेद चंदन की खेती उन जगहों पर की जा सकती है जहां पर पानी की पीएच वैल्यू साढे छह से उपर होती है। जबकि लाल चंदन की खेती उन जगहों पर होती है जहां पर पानी की पीएच वैल्यू साढ़े छह से कम होती है. चंदन खेती करने वाले किसान वे कहा कि जहां पर पानी पीने के बाद आपका पेट खराब नहीं होता है उन जगहों पर आप सफेद चंदन की खेती कर सकते हैं. चंदन की खेती दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है. पर इसे लाल मिट्टी और अन्य जगहों पर भी कर सकते हैं, पर रेतीली मिट्टी में आप इसकी खेती नहीं कर सकते हैं. सिर्फ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस जमीन कर चंदन की खेती की गयी वहां पर जलजमाव नहीं होना चाहिए. वरना पौधा खराब हो सकता है. पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए हर तीन से चार महीने में वर्मी कंपोस्ट और केचुंआ खाद डालते रहना चाहिए. साथ ही फर्टिलाइजर का स्प्रे भी कर सकते हैं।

चंदन के खेत की तैयारी 

चंदन की खेती करने से पहले उसके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लिया जाता है | इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है | जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है | इससे बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर ले| पलेव के बाद रोटावेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है। इसके बाद खेत में पौधों की रोपाई के लिए गड्डो को तैयार कर लिया जाता है| यह गड्डे 10 फीट की दूरी पर 2 फ़ीट गहरे और 3 से 4 फ़ीट चौड़े होने चाहिए | इसके बाद इन गड्डो में मिट्टी के साथ गोबर की खाद को अच्छे से मिलाकर भर दिया जाता है | यदि आप चाहे तो गोबर की खाद के स्थान पर जैविक खाद का भी उपयोग कर सकते है |

इसके पौधों को रासायनिक खाद की जरूरत नहीं होती है | चंदन का पौधा पोषक तत्व को प्राप्त करने के लिए दूसरे पौधों पर निर्भर रहता है, इसलिए इसके पौधों को खास उवर्रक की भी आवश्यकता नहीं होती है | इसके पौधे सिरिस, नागफनी, हरड और नीम के पौधों से स्वयं का भोजन, पानी और खनिज तत्वों को ग्रहण करते है | इसलिए इसकी खेती में इस तरह के पौधों को जरूर लगाए | खाद के रूप में 5 से 10 KG गोबर की मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डो में भरा जाता है | यह खाद चंदन के पौधों को वर्ष में दो बार अवश्य दे |

चन्दन की खेती हेतु उन्नत किसमें

लाल चन्दन

इस किस्म की चंदन को रक्त चंदन के नाम से भी जाना जाता है | लाल चंदन के पौधों में सफ़ेद चंदन की भांति खुशबु नहीं आती है | चंदन की यह किस्म मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में पाई जाती है, जिसे इत्र,दवाई, हवन सामग्री और महंगी सजावट की चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है | इसका पूर्ण विकसित पौधा सफ़ेद चंदन के पौधे से कम लम्बा होता है |

सफ़ेद चन्दन

इस किस्म की चंदन की लकड़ी का रंग सफ़ेद होता है, इसे मुख्य रूप से व्यापारिक इस्तेमाल के लिए उगाया जाता है | सफ़ेद चंदन की लकड़ी अधिक खुशबु वाली होती है, जिस वजह से सफ़ेद चंदन की कीमत लाल चंदन की अपेक्षा काफी अधिक होती है | इसे तेज़, औषधि, साबुन, इत्र और चंदन तेल जैसी महंगी चीजों को बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है | इसका पूर्ण विकसित पौधा 15 मीटर से अधिक लम्बा हो सकता है |

Plant Nursary in Patna

भारत सरकार मान्यताप्राप्त संस्थान  ग्रीन इंडिया बायो टेक

चन्दन की खेती में पौधे सीधे तौर पर ग्रीन इंडिया बायो टेक से लाकर या फिर बीज के माध्यम से भी लगा सकते है । एक एकड़ में हमे करीब 435 पौधो की आवश्यकता होती है पौधों से पौधों की दूरी 10 फुट की होनी चाहिए । बीज रोपण हेतु गड्ढ़े का आकार (45 सेमी * 45सेमी * 45 सेमी) होना चाहिए ।

किसान एक एकड़ में लगभग 450 से अधिक चंदन के पौधे लगा सकते हैं. पौधे के बीच 10X12 फीट की दूरी होती है. इस खेती में जमीन का काफी हिस्सा किसान के पास होता है, इसमें वो खेती करके पैसे कमा सकते हैं।

चंदन के पौधा की रोपाई का समय

इन पौधो को अपने खेत में लगाने के समय की बात करे तो ये हम अप्रैल के अंतिम सप्ताह से अक्टुम्बर तक लगा सकते है।

चंदन के पौधों की सिंचाई

चंदन के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसलिए इसकी पौध रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है | बारिश के मौसम में इसके पौधों की सिंचाई जरूरत पड़ने पर ही की जाती है | गर्मियों के मौसम में पौधों में नमी बनाये रखने के लिए दो से तीन दिन में पोधो को पानी दे | इसके अलावा सर्दियों के मौसम में सप्ताह में एक बार पौधों की सिंचाई अवश्य करे |

सहायक फसलें

चन्दन के पौधो को तैयार होने में 12 से 15 वर्ष का समय लग जाता है | इस दौरान चंदन के पौधों के मध्य दलहन या बागबानी फसल उगाकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है | जिससे किसान भाई को आर्थिक परिस्थितियों से नहीं गुजरना पड़ेगा |

चंदन के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण

चंदन के पौधों को आरम्भ में ही खरपतवार पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है, इसलिए शुरुआत में खेत में पौधों के समीप खरपतवार दिखाई देने पर उसकी गुड़ाई कर निकाल दे | इसके अलावा चंदन के पौधों को जंगली पौधों से बचाना होता है | इसलिए खेत में जंगली पौधा न उगने दे |

चंदन के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम

चंदन के पौधों पर न के बराबर ही रोग देखने को मिलते है, किन्तु कुछ रोग ऐसे होते है, जो चंदन के पौधों को अधिक हानि पहुंचाते है | इसमें संक्रामक वानस्पतिक और सैंडल स्पाइक नामक रोग रहस्यपूर्ण तथा अधिक खतरनाक है | इस रोग से बचाव के लिए अभी तक कोई भी उपचार कारगर साबित नहीं हुआ है | इस रोग से प्रभावित पौधे की पत्तियां ऐंठकर छोटी होने लगती है, जिससे पौधा विकृत रूप ले लेता है |

इस रोग की रोकथाम के लिए चंदन के पौधों के समीप ही नीम के पौधों को लगाया जाता है | इससे पौधों को भोजन भी प्राप्त होता रहता है, और रोग लगने का खतरा भी कम हो जाता है |

चंदन के पौधों की कटाई, पैदावार और लाभ

चंदन के पौधों को तैयार होने में पौध रोपाई से तक़रीबन 12 से 15 वर्ष का समय लग जाता है | इसका पौधा जितना पुराना होता है, उतना ही अच्छा होता है | इसके पेड़ की कटाई न करके उसे जड़ से उखाड़ लिया जाता है | इसके बाद इसकी कटाई गुणवत्ता के आधार पर की जाती है | चंदन की कटाई से पहले सरकार से परमिशन लेना होता है | इसके अतिरिक्त यदि आपका लगाया पेड़ चोरी हो जाता है, तो उसके लिए आप पुलिस में शिकायत भी कर सकते है | चंदन के पौधों को तैयार होने में अधिक समय लगता है, किन्तु आमदनी के मामले में यह सबसे अच्छा होता है |

Plant Company in Patna

चंदन के एक विकसित पेड़ से 20 से 30 KG की लकड़ी प्राप्त हो जाती है, तथा एक एकड़ के खेत में 400 पौधों को तैयार किया जा सकता है | चंदन की लड़की का बाज़ारी भाव 6 से 12 हजार रूपए प्रति KG है | जिससे किसान भाई 20 KG के एक पेड़ से 12 से 15 वर्षो में 1 से 2 लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते है, तथा एक एकड़ में तैयार 400 पेड़ो से किसान भाई 5 से 8 करोड़ की कमाई कर करोड़पति बन सकते है |

पौधा से पेड़ बनने में कितना वक्त लगता है

चंदन के पौधों को पेड़ बनने में करीब 12 से 15 साल का समय लगता है. 12 साल में इसका वजन 15 किलो आता है, जबकि 15 साल होते तक इसका वजन 20 किलो हो जाता है. यह पेड़ का वजन नहीं है इसके अंदर से जो पाउडर निकाल कर बेचा जाता है उसका वजन है. पंजाब में चंदन फार्म के संचालक ने बताया कि वो लोगों को दो साल का पैाधा देते हैं. इसके बाद किसानों को उसे 12 साल तक लगाकर उसकी देखभाल करनी पड़ती है। इसके बाद एक पेड़ से करीब करीब 18-19 किलो वजन आता है. इनके फार्म में सफेद चंदन के पेड़ लगे हुए हैं।

चन्दन की खेती के साथ सहायक फसलें

चन्दन के पौधो को तैयार होने में 12 से 15 वर्ष का समय लग जाता है | इस दौरान चंदन के पौधों के मध्य दलहन या बागबानी फसल उगाकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है | जिससे किसान भाई को आर्थिक परिस्थितियों से नहीं गुजरना पड़ेगा |

पारासइट प्लांट है चंदन

चंदन एक पारासाइट प्लांट है, पारासइट उन्हें कहा जाता है जो दूसरे प्राणीयों के शरीर में रहते हैं और उनसे अपना भोजन ग्रहण करते हैं. इसी तरह चंदन का पेड़ भी दूसरे पेड़ों के जड़ से अपना भोजन लेता है. इसलिए इस पेड़ को अकेला कहीं पर नहीं लगाना चाहिए नहीं तो इसका पौधा मर जाएगा।

असली चंदन की पहचान

असली चन्दन की पहचान करने का सबसे आसान तरीका है हम चन्दन को किसी ठोस सतह या फर्श पर तब तक घिसते है जब तक की ये गर्म ना हो जाये तब हम देखते है इससे सुगंधित खुशबू आती है जो की पहचान है की चंदन असली है चन्दन की बनी किसी और वस्तु को खरीदने से पहले कोई भी दुकानदार अगर हमे इसकी अनुमति अगर नहीं देता है तो हो सकता है ये चंदन नकली हो । ये ही असली चंदन को पहचानने का एक सही और आसान तरीका है।

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Author: admin
मेरे क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ पौधे प्रदाता एजेंसी Green India Bio Tech है। यहाँ सबसे अच्छे महोगनी पौधे, सागवान पौधे, और चंदन पौधे मिलते हैं। और विवरण के लिए हमारी आधिकारिक वेबसाइट www.greenindiabiotech.in पर जाएं या हमें sales@greenindiabiotech.in ईमेल करें।

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