सागवान के पौधों को उगाने के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, इसके पौधों को दोमट मिट्टी में आसानी से ऊगा सकते है, पर ध्यान रहे कि जिस जगह पर इसे उगा रहे हैं वहां पानी नहीं जमता है. क्योकि जल-भराव की स्थिति में इसके पौधों में रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है
सागवान की लकड़ी मजूत होने के साथ-साथ काफी महंगी बिकती है. इसलिए एस व्यापारिक तौर पर भी उगाया जाता है. इसका इस्तेमाल प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे और अनेक प्रकार के बहुमूल्य फर्नीचरों को बनाने में किया जाता है क्योंकि यह बहुत टिकाऊ होता है. इसके पौधों का इस्तेमाल दवाइयों को बनाने में भी करते है. सागवान की लकड़ी में कई तरह के खास गुण पाए जाते है, जिस वजह से हमेशा ही बाज़ारो में इसकी मांग रहती है. सागवान की लकड़ी में कभी दीमक नहीं लगता है. जानकारी के मुताबिक इसका पेड़ 200 वर्षों तक जीवित रहता है.
सागवान का बाजार
सागवान का बाजार अभी भी 95 फीसदी तक खाली है क्योंकि देश में सागवान की मांग की सिर्फ पांच फीसदी ही आपूर्ति हो पाती है. इसलिए इसकी खेती के लिए बड़ा अवसर मिल सकता है और अच्छी कमाई भी हो सकती है. कई किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इसकी खेती में रिस्क बहुत ही कम है.
सागवान की खेती कैसे करे
सागवान के पौधों को उगाने के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, इसके पौधों को दोमट मिट्टी में आसानी से ऊगा सकते है, पर ध्यान रहे कि जिस जगह पर इसे उगा रहे हैं वहां पानी नहीं जमता है. क्योकि जल-भराव की स्थिति में इसके पौधों में रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6.5 से 7.5 के बीच का होना चाहिए. सागवान के पौधों की अच्छी बढ़ोतरी के लिए लिए शुष्क और आद्र मौसम जलवायु की आवश्यकता होती है. सागवान के पौधे सामान्य तापमान में अच्छे से वृद्धि करते है.
इन किस्मों से होगा फायदा
सागवान से अच्छी कमाई हासिल करने के लिए उन्नत किस्म को पौधों का चयन करना बेहद जरूरी है. हालांकि पैदावार के मामले में यह सभी किस्में सामान्य होती है, पर इन्हे अलग-अलग जलवायु के हिसाब से उगाया जाता है. सागवान की कुछ प्रमुख किस्में :- दक्षिणी और मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिमी अफ्रीकी सागवान, अदिलाबाद सागवान, नीलांबर (मालाबार) सागवान, गोदावरी सागवान और कोन्नी सागवान इस प्रकार है . इन सभी किस्मो के पेड़ो की लम्बाई अलग-अलग पाई जाती है
सागवान की खेती कैसे करें
सबसे पहले खेतों की अच्छे से जुताई करें. गहरी जुताई करके खेत के पुराने फसल के अवशेष को खत्म कर देना चाहिए. इसके बाद खेत में 6 से 7 फ़ीट की दूरी रखते हुए दो फ़ीट चौड़े और डेढ़ फ़ीट गहरे गड्डो को तैयार कर लेना चाहिए. सागवान के पौधों को अधिक उवर्रक की जरूरत होती है . इसलिए इसके पौधों की रोपाई करने से एक माह पहले तक़रीबन 15 KG पुरानी गोबर की खाद के साथ 500 GM N.P.K.की मात्रा को मिट्टी में मिलाकर छोड़ दे . गड्डो को पौध रोपाई के एक माह पहले तैयार किया जाता है. सागवान के पौधों की रोपाई को बीज के रूप में करके पौधों के रूप में की जाती है. इसके पौधों की रोपाई के लिए लाये गए पौधे लगभग दो वर्ष पुराने होने चाहिए, क्योकि दो वर्ष पुराना पौधा अच्छे से वृद्धि करता है.
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